बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 हिन्दी गद्य बीए सेमेस्टर-3 हिन्दी गद्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 हिन्दी गद्य : सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परदा' कहानी की समीक्षा कीजिए।
उत्तर-
'परदा' हिन्दी के विख्यात यथार्थवादी कथाकार श्री यशपाल जी की कहानी है। यशपाल रचित 'परदा' कहानी मध्यवर्गीय शोषित परिवार की दयनीय दशा का चित्रण प्रस्तुत करती है। यशपाल की कहानियों के सन्दर्भ में प्रो० अरुण का विचार है—
"यशपाल जी की कहानियों का मुख्यतः मध्यवर्गीय जन-जीवन है। मध्य वर्ग की असंगतियों, दुर्बलताओं, विरोधाभासों आदि पर इन्होंने बड़े करारे प्रहार किए हैं। सामाजिक विभीषिकाओं, शोषित वर्ग के जीवन का जैसा यथार्थवादी चित्रण यशपाल जी ने किया है, वैसा अन्यत्र मिलना दुर्लभ है। इनकी सभी कहानियाँ समस्यामूलक हैं और अधिक रोटी और सेक्स से सम्बन्धित हैं।" "पिंजरे की उड़ान', 'वो दुनिया', 'ज्ञान-दान', 'अभिशाप', 'फूलों का कुत्ता', 'धर्मयुद्ध' इत्यादि यशपाल के प्रमुख कहानी संग्रह हैं।
'परदा' शीर्षक कहानी में निम्न मध्यवर्ग द्वारा एक परदा बनाए रखने पर व्यंग्य है। यह परदा किसी-न-किसी दिन हटता है और कठोर यथार्थ सामने आ जाता है। चौधरी खानदान की तीसरी पीढ़ी के पीरबख्श प्राइमरी से अधिक नहीं पढ़ सके थे फिर भी पूरी बस्ती में वे ही पढ़े लिखे माने जाते थे। उनके घर पर टाट का परदा पड़ा रहता था। जब भी आवश्यकता पड़ती चौधरी बबर अली खाँ से रुपये उधार ले लेते किश्त न चुका पाने पर चौधरी डरता रहता था झूठे वायदों से रुष्ट होकर बबर अली ने वह परदा खींच लिया। सभी ने देखा कि घर की औरतों के शरीर पर चिथड़े एक तिहाई अंग भी नहीं ढक पा रहे थे। खान भी पिघल गया किन्तु अब परदा टाँगने की आवश्यकता भी समाप्त हो गयी। लेखक ने मनोवैज्ञानिक आधार लेकर समाज के खोखलेपन को चित्रित किया है। कहानी - कला के सभी तत्त्वों का इसमें सम्यक् निर्वाह हुआ है जिनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-
1. कथानक — इस कहानी में पीरबख्श के दयनीय जीवन की झाँकी प्रस्तुत की गयी है। वह एक प्राइवेट तेल मिल में नौकरी करता है। परिवार में आठ सदस्य हैं। उसे केवल 18 रुपये प्रतिमाह वेतन मिलता है। पारिवारिक जिम्मेदारियाँ और खर्चे ने उसे कर्ज में दबा दिया है। वह एक पठान से कर्ज़ा लेता लेकिन कर्ज को समय पर नहीं चुका पाता है इससे नाराज होकर पठान उसको उसके घर ही आकर गाली-गलौच सुनाता है – “पैसा न देने के वास्ते छिपता है......।” इसके बाद गुस्से में भरकर पीरबख्श के दरवाजे पर पड़े हुए इज्जत के पर्दे को अपने डण्डे के प्रहार से फाड़ डालता है। परदे के फटते ही परदे की आड़ में खड़ी पीरबख्श के घर की स्त्रियों की इज्जत - आबरू भी उजागर हो जाती है इस दृश्य को देखकर पीरबख्श बेहोश होकर गिर पड़ता है। चौधरी को जब होश आया तो उन्होंने परदे को आँगन में पड़ा हुआ देखा। लेकिन दुबारा लगाने की उनकी हिम्मत नहीं हुई। परदा जिस भावना का अवलम्ब था, वह मर चुकी थी।
इस कहानी का कथानक संक्षिप्त, सजीव, रोचक, सुगठित और आकर्षक है इसमें यथार्थ और व्यंग्य का सुन्दर समावेश दृष्टिगोचर होता है।
2. शीर्षक - प्रस्तुत कहानी का शीर्षक प्रतीकात्मक है। वास्तव में परदा हमारे अभावपूर्ण जीवन को ढके रहता है जैसे ही वह हट जाता है हमारे समक्ष समाज की विसंगतियाँ एवं अभाव आ जाते हैं। यह शीर्षक ही सम्पूर्ण कहानी का प्राण है। शीर्षक संक्षिप्त, सार्थक एवं रोचक है।
3. पात्र और चरित्र चित्रण — इस कहानी का प्रधान पात्र चौधरी पीरबख्श है तथा उसका सहयोगी बबर अली खाँ पठान। शेष पात्र गौण हैं। पीरबख्श शोषित, दीन-हीन वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है। वह परम्परावादी और झूठी शान में मरने वाला व्यक्ति है तथा इसी कारण वह कर्ज से दब भी जाता है। दूसरी ओर पठान सूदखोर है। वह स्वभाव का कर्कश और निर्दयी है। इस प्रकार वह पूँजीपति वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है। कहानी में पात्र संख्या पर्याप्त मात्रा में है, उसका कारण यह है कि यह कहानी एक मुस्लिम परिवार से सम्बन्धित है। पीरबख्श और पंजाबी खान बबर अली खान के अतिरिक्त पीरबख्श के दादा, पिता, भाई-बहन, उनके पुत्र, माँ, पत्नी आदि हैं। इस कहानी के सभी पात्र यथार्थवादी पात्रों की कोटि के अन्तर्गत आते हैं।
चौधरी पीरबख्श इस कहानी के नायक हैं। वह चौधरी इलाही बख्श के चौथे सुपुत्र हैं। उनके तीन लड़कियाँ और लड़के हैं। अपने हृदय में अपने खानदान की इज्जत रखने के लिए अपने घर पर दरवाजे पर परदा लटकाये हैं जिससे कि उनकी गरीबी की हालत कोई देख न सके। उन्हें अपने खानदान की इज्जत रखने का हर सम्भव प्रयत्न करते हुए भी खान द्वारा अपमानित होना पड़ता है। बबर अली खान के द्वारा परदा खींचकर फेंक दिये जाने पर उनके हृदय को अपार कष्ट होता है। वह अपने हृदय की पीड़ा किसी को नहीं कह पाते इसलिए उनका हृदय सदैव व्यथा से भरा रहता है। वह प्रारम्भ से अन्त तक पाठक की सहानुभूति का केन्द्र बने रहते हैं। बबर अली खान अपने पेशे के अनुसार वह एक निर्दयी इंसान है। पीरबख्श के द्वारा रुपया न लौटाये जाने पर वह उसके घर का परदा खींच लेता है। लेकिन अन्दर का दृश्य देखकर उसका हृदय द्रवित हो जाता है। अतः खान का चरित्र हमें व्यावसायिक, कठोर, निर्दयी और संवेदनशील व्यक्ति के रूप में भी मिलता है।
4. संवाद और कथोपकथन - 'परदा' कहानी के संवाद सरस, पात्रानुकूल तथा भावानुकूल है। कथोपकथन जहाँ कथा को गति देने वाले हैं वहीं वे पात्रों की चरित्रगत विशेषताओं पर भी प्रकाश डालने वाले हैं। पीरबख्श और उसके दोस्त के परिसंवाद का उदाहरण देखिये-
"इधर-उधर बातचीत कर वे कहते- 'अरे भई! हों तो बीस आने पैसे तो दो-एक रोज़ के लिए देना। ऐसे जरूरत आ पड़ी है। "
उत्तर मिला – “मियाँ पैसा कहाँ इस जमाने में पैसे का मोल कोड़ी नहीं रह गया। हाथ में आने से पहले ही उधार में उठ गया तमाम ! "
5. संघर्ष या द्वन्द्व - परदा' कहानी में अन्तर्द्वन्द्व की भावना के दर्शन होते हैं। पीरबख्श के चरित्र में लेखक ने अन्तर्द्वन्द्व का सुन्दर चित्रण किया है। वे अपने मन की व्यथा को किसी के सामने प्रकट न करके अन्दर ही अन्दर घुटते रहते हैं। उनके अन्तर्द्वन्द्व का एक उदाहरण देखिए- " खान के भय से दिल डूब रहा था, लेकिन दूसरी ओर चार भूखे बच्चों, उनकी माँ, दूध न बरत सकने के कारण सूखकर काँटा हो रहे गोद के बच्चे और चलने फिरने से लाचार अपनी जईफ माँ की भूख से बिलबिलाती सूरतें आँखों के सामने नॉच जाती। धड़कते हुए हृदय से वे कहते - "मौला सब देखता है खैर करेगा।"
6. यथार्थता - इस कहानी में यथार्थता की विशेषता भी दिखाई देती है। इसमें कहानीकार ने भारतीय मुस्लिम समाज के एक निर्धन परिवार का अत्यन्त यथार्थ चित्रण किया है। लेखक ने दिखाया है कि चौधरी पीरबख्श के पास इतने भी पैसे नहीं कि वह अपनी पत्नी और बच्चों के कपड़े भी बनवा सके। वैसे उन्हें अपने पुराने खानदान पर बड़ा अभिमान है। यशपाल ने बड़े स्वाभाविक और यथार्थवादी ढंग से परदे के पीछे की दशा का चित्रण किया है- "घर की लड़कियाँ और औरतें पर्दे के दूसरी ओर घटना के आतंक से आँगन के बीचों-बीच इकट्ठी हो खड़ी काँप रही थी। सहसा हट जाने से ऐसे सिकुड़ गईं जैसे उनके शरीर का वस्त्र खींच लिया गया हो।" यह परदा ही तो घर- भर की औरतों के शरीर का वस्त्र था, उनके शरीर पर बचे चिथड़े उनके एक तिहाई अंग ढकने में भी असमर्थ थे।
7. भाषा-शैली - प्रस्तुत कहानी एक मुस्लिम परिवार की कहानी है। इसकी भाषा में कहानीकार ने उर्दू शब्दों का बहुलता से प्रयोग किया है जैसे- अरमान, तालीम, कुनबा, औलाद एवं हवेली इत्यादि इसके साथ ही दुम हिलाना, आँख फोड़ना आदि मुहावरों का भी प्रयोग हुआ है। पठान के मुख से पात्रानुकूल भाषा का प्रयोग कराया है। यथा - " आम वतन चोड़ के परदेश में पड़ा है, ऐसे रुपया चोड़ देने के वास्ते।" यथा स्थान पर सम्भव, असमर्थ एवं अवलम्ब आदि संस्कृत शब्दों का भी प्रयोग हुआ है। इसके अतिरिक्त अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग भी मिलता है— एन्ट्रेन्स, रेलवाई, मिडिल।
यशपाल ने इस कहानी में कथात्मक, व्यंग्यात्मक एवं संलाप शैली का प्रयोग किया है। प्रस्तुत कहानी की मुख्य शैली वर्णनात्मक है। व्यंग्यात्मक शैली भी काफी मुखरित है - "खुदा की बरक्कत होती हैं तो रुपये पैसे की शक्ल में नहीं, आस-औलाद की शक्ल में, 15 वर्ष में 5 बच्चे हुए थे।"
8. वातावरण या देशकाल - परदा कहानी में यशपाल जी ने वातावरण तत्त्व का बड़ी सफलता के साथ निर्वाह किया। कहानी में निम्न मध्यवर्ग के परिवार का रहन-सहन एवं जीवन स्तर को चित्रित किया गया है। पीरबख्श के कच्चे घर का वर्णन करते समय कहानीकार ने कहानी में वातावरण का यथार्थ अंकन किया है। जिस गली में चौधरी पीरबख्श रहते हैं वहाँ का वातावरण देखिए - "कच्ची गली के बीचों-बीच, गली के मुहाने पर लगे कमेटी के नल से टपकते पानी की काली धारा बहती रहती जिसके किनारे घास उग आई थी नाली पर मच्छरों और मक्खियों के बादल उमड़ते रहते। सामने रमजान धोबी की भट्टी थी, जिसमें से धुआँ और सब्जी मिले उबले कपड़ों की गन्ध उड़ती रहती है।" इस प्रकार वातावरण की दृष्टि से यह कहानी श्रेष्ठ है।
9. आरम्भ और अन्त - इस कहानी का आरम्भ अधिक आकर्षक, सजीव, मोहक, रोचक और अधिक प्रभावशाली नहीं बन सका है। उसका कारण यह है कि वर्णनात्मक चित्रण में कोई कला नहीं आ पाई है। आरम्भ में सीधे-सीधे ढंग से कहानीकार ने चौधरी पीरबख्श के दादा का परिचय दिया है। परदा कहानी का अन्त आरम्भ की अपेक्षा अधिक प्रभावशाली और अप्रत्याशित है। उसमें मार्मिकता और कारुणिकता के दर्शन होते हैं। सत्यता यह है कि इस कहानी के अन्त में पाठक के हृदय में भी संवेदना उत्पन्न करने की शक्ति है। इस कहानी का अन्तिम वाक्य — “परदा जिस भावना का अवलम्ब था, वह मर चुकी थी" बड़ा ही संवेदनशील और मार्मिक है।
10. उद्देश्य - परदा कहानी का उद्देश्य समाज के विविध वर्गों की आर्थिक विषमता का वर्णन करते हुए भाग्य की प्रबलता का वर्णन करना है। कोरा आडम्बर मनुष्य को किस प्रकार निरीह एवं दीन-हीन बना देता है। इसी का चित्रण कहानी में किया गया है। यशपाल जी का इस कहानी में यही उद्देश्य है कि मनुष्य को झूठी शान को छोड़कर वास्तविकता को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। इसके साथ ही लेखक ने यह भी दर्शाया है कि कर्ज एक बुरी चीज़ है। वह मनुष्य को चैन की साँस नहीं लेने देता। कहानीकार ने यह भी संकेत दिया है कि भारतीय समाज में न जाने कितने परिवार ऐसे हैं, जो परदे के पीछे घुटन, अभाव और दीनता के जीवन को व्यतीत कर रहे हैं। इस कहानी में उद्देश्य की दृष्टि से यशपाल जी यथार्थवादी दृष्टिकोण को लेकर चले हैं, उसमें उन्हें पूर्ण सफलता भी प्राप्त हुई है।
निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि 'परदा' यशपाल जी की एक अनुपम कहानी है। इसमें श्रेष्ठ कहानी के सभी गुण विद्यमान हैं। लेखक ने बड़ी कुशलता से निम्न मध्यवर्गीय परम्परामुक्त परिवार का यथार्थ चित्रण किया है। इस कहानी में वातावरण बड़ी सजीव और यथार्थ परक बन गया है। 'परदा' हिन्दी कहानी साहित्य में श्रेष्ठतम स्थान रखती है।
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- प्रश्न- आदिकाल के हिन्दी गद्य साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी की विधाओं का उल्लेख करते हुए सभी विधाओं पर संक्षिप्त रूप से प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी नाटक के उद्भव एवं विकास को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कहानी साहित्य के उद्भव एवं विकास को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी निबन्ध के विकास पर विकास यात्रा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी आलोचना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'आत्मकथा' की चार विशेषतायें लिखिये।
- प्रश्न- लघु कथा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हिन्दी गद्य की पाँच नवीन विधाओं के नाम लिखकर उनका अति संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- आख्यायिका एवं कथा पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- सम्पादकीय लेखन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ब्लॉग का अर्थ बताइये।
- प्रश्न- रेडियो रूपक एवं पटकथा लेखन पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- हिन्दी कहानी के स्वरूप एवं विकास पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- प्रेमचंद पूर्व हिन्दी कहानी की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नई कहानी आन्दोलन का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- हिन्दी उपन्यास के उद्भव एवं विकास पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- उपन्यास और कहानी में क्या अन्तर है ? स्पष्ट कीजिए ?
- प्रश्न- हिन्दी एकांकी के विकास में रामकुमार वर्मा के योगदान पर संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी एकांकी का विकास बताते हुए हिन्दी के प्रमुख एकांकीकारों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए कि डा. रामकुमार वर्मा आधुनिक एकांकी के जन्मदाता हैं।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचना के उद्भव और विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचना के क्षेत्र में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का योगदान बताइये।
- प्रश्न- निबन्ध साहित्य पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- 'आवारा मसीहा' के आधार पर जीवनी और संस्मरण का अन्तर स्पष्ट कीजिए, साथ ही उनकी मूलभूत विशेषताओं की भी विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'रिपोर्ताज' का आशय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आत्मकथा और जीवनी में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- हिन्दी की हास्य-व्यंग्य विधा से आप क्या समझते हैं ? इसके विकास का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- कहानी के उद्भव और विकास पर क्रमिक प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सचेतन कहानी आंदोलन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जनवादी कहानी आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं ?
- प्रश्न- समांतर कहानी आंदोलन के मुख्य आग्रह क्या थे ?
- प्रश्न- हिन्दी डायरी लेखन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- यात्रा सहित्य की विशेषतायें बताइये।
- अध्याय - 3 : झाँसी की रानी - वृन्दावनलाल वर्मा (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- उपन्यासकार वृन्दावनलाल वर्मा के जीवन वृत्त एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- झाँसी की रानी उपन्यास में वर्मा जी ने सामाजिक चेतना को जगाने का पूरा प्रयास किया है। इस कथन को समझाइये।
- प्रश्न- 'झाँसी की रानी' उपन्यास में रानी लक्ष्मीबाई के चरित्र पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- झाँसी की रानी के सन्दर्भ में मुख्य पुरुष पात्रों की चारित्रिक विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- 'झाँसी की रानी' उपन्यास के पात्र खुदाबख्श और गुलाम गौस खाँ के चरित्र की तुलना करते हुए बताईये कि आपको इन दोनों पात्रों में से किसने अधिक प्रभावित किया और क्यों?
- प्रश्न- पेशवा बाजीराव द्वितीय का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- अध्याय - 4 : पंच परमेश्वर - प्रेमचन्द (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'पंच परमेश्वर' कहानी का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- जुम्मन शेख और अलगू चौधरी की शिक्षा, योग्यता और मान-सम्मान की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- “अपने उत्तरदायित्व का ज्ञान बहुधा हमारे संकुचित व्यवहारों का सुधारक होता है।" इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 5 : पाजेब - जैनेन्द्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- श्री जैनेन्द्र जैन द्वारा रचित कहानी 'पाजेब' का सारांश अपने शब्दों में लिखिये।
- प्रश्न- 'पाजेब' कहानी के उद्देश्य को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'पाजेब' कहानी की भाषा एवं शैली की विवेचना कीजिए।
- अध्याय - 6 : गैंग्रीन - अज्ञेय (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर अज्ञेय द्वारा रचित 'गैंग्रीन' कहानी का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- कहानी 'गैंग्रीन' में अज्ञेय जी मालती की घुटन को किस प्रकार चित्रित करते हैं?
- प्रश्न- अज्ञेय द्वारा रचित कहानी 'गैंग्रीन' की भाषा पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 7 : परदा - यशपाल (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परदा' कहानी की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'परदा' कहानी का खान किस वर्ग विशेष का प्रतिनिधित्व करता है, तर्क सहित इस कथन की पुष्टि कीजिये।
- प्रश्न- यशपाल जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- अध्याय - 8 : तीसरी कसम - फणीश्वरनाथ रेणु (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हीराबाई का चरित्र चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम' उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है ?
- प्रश्न- हीरामन की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए?
- अध्याय - 9 : पिता - ज्ञान रंजन (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
- अध्याय - 10 : ध्रुवस्वामिनी - जयशंकर प्रसाद (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- ध्रुवस्वामिनी नाटक का कथासार अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- नाटक के तत्वों के आधार पर ध्रुवस्वामिनी नाटक की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- ध्रुवस्वामिनी नाटक के आधार पर चन्द्रगुप्त के चरित्र की विशेषतायें बताइए।
- प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी नाटक में इतिहास और कल्पना का सुन्दर सामंजस्य हुआ है। इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- ऐतिहासिक दृष्टि से ध्रुवस्वामिनी की कथावस्तु पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी' नाटक का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'धुवस्वामिनी' नाटक के अन्तर्द्वन्द्व किस रूप में सामने आया है ?
- प्रश्न- क्या ध्रुवस्वामिनी एक प्रसादान्त नाटक है ?
- प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी' में प्रयुक्त किसी 'गीत' पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- प्रसाद के नाटक 'ध्रुवस्वामिनी' की भाषा सम्बन्धी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- अध्याय - 11 : दीपदान - डॉ. राजकुमार वर्मा (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- " अपने जीवन का दीप मैंने रक्त की धारा पर तैरा दिया है।" 'दीपदान' एकांकी में पन्ना धाय के इस कथन के आधार पर उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'दीपदान' एकांकी का कथासार लिखिए।
- प्रश्न- 'दीपदान' एकांकी का उद्देश्य लिखिए।
- प्रश्न- "बनवीर की महत्त्वाकांक्षा ने उसे हत्यारा बनवीर बना दिया। " " दीपदान' एकांकी के आधार पर इस कथन के आलोक में बनवीर का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- अध्याय - 12 : लक्ष्मी का स्वागत - उपेन्द्रनाथ अश्क (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'लक्ष्मी का स्वागत' एकांकी की कथावस्तु लिखिए।
- प्रश्न- प्रस्तुत एकांकी के शीर्षक की उपयुक्तता बताइए।
- प्रश्न- 'लक्ष्मी का स्वागत' एकांकी के एकमात्र स्त्री पात्र रौशन की माँ का चरित्रांकन कीजिए।
- अध्याय - 13 : भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है?' निबन्ध का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- लेखक ने "हमारे हिन्दुस्तानी लोग तो रेल की गाड़ी हैं।" वाक्य क्यों कहा?
- प्रश्न- "परदेशी वस्तु और परदेशी भाषा का भरोसा मत रखो।" कथन से क्या तात्पर्य है?
- अध्याय - 14 : मित्रता - आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'मित्रता' पाठ का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- सच्चे मित्र की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की भाषा-शैली पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- अध्याय - 15 : अशोक के फूल - हजारी प्रसाद द्विवेदी (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध 'अशोक के फूल' के नाम की सार्थकता पर विचार करते हुए उसका सार लिखिए तथा उसके द्वारा दिये गये सन्देश पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध 'अशोक के फूल' के आधार पर उनकी निबन्ध-शैली की समीक्षा कीजिए।
- अध्याय - 16 : उत्तरा फाल्गुनी के आसपास - कुबेरनाथ राय (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- निबन्धकार कुबेरनाथ राय का संक्षिप्त जीवन और साहित्य का परिचय देते हुए साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
- प्रश्न- कुबेरनाथ राय द्वारा रचित 'उत्तरा फाल्गुनी के आस-पास' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- कुबेरनाथ राय के निबन्धों की भाषा लिखिए।
- प्रश्न- उत्तरा फाल्गुनी से लेखक का आशय क्या है?
- अध्याय - 17 : तुम चन्दन हम पानी - डॉ. विद्यानिवास मिश्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- विद्यानिवास मिश्र की निबन्ध शैली का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- "विद्यानिवास मिश्र के निबन्ध उनके स्वच्छ व्यक्तित्व की महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति हैं।" उपरोक्त कथन के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- पं. विद्यानिवास मिश्र के निबन्धों में प्रयुक्त भाषा की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 18 : रेखाचित्र (गिल्लू) - महादेवी वर्मा (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'गिल्लू' नामक रेखाचित्र का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- सोनजूही में लगी पीली कली देखकर लेखिका के मन में किन विचारों ने जन्म लिया?
- प्रश्न- गिल्लू के जाने के बाद वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
- अध्याय - 19 : संस्मरण (तीन बरस का साथी) - रामविलास शर्मा (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- संस्मरण के तत्त्वों के आधार पर 'तीस बरस का साथी : रामविलास शर्मा' संस्मरण की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'तीस बरस का साथी' संस्मरण के आधार पर रामविलास शर्मा की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 20 : जीवनी अंश (आवारा मसीहा ) - विष्णु प्रभाकर (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- विष्णु प्रभाकर की कृति आवारा मसीहा में जनसाधारण की भाषा का प्रयोग किया गया है। इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'आवारा मसीहा' अथवा 'पथ के साथी' कृति का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- विष्णु प्रभाकर के 'आवारा मसीहा' का नायक कौन है ? उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'आवारा मसीहा' में समाज से सम्बन्धित समस्याओं को संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- 'आवारा मसीहा' में बंगाली समाज का चित्रण किस प्रकार किया गया है ? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'आवारा मसीहा' के रचनाकार का वैशिष्ट्य वर्णित कीजिये।
- अध्याय - 21 : रिपोर्ताज (मानुष बने रहो ) - फणीश्वरनाथ 'रेणु' (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ 'रेणु' कृत 'मानुष बने रहो' रिपोर्ताज का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- 'मानुष बने रहो' रिपोर्ताज में रेणु जी किस समाज की कल्पना करते हैं?
- प्रश्न- 'मानुष बने रहो' रिपोर्ताज में लेखक रेणु जी ने 'मानुष बने रहो' की क्या परिभाषा दी है?
- अध्याय - 22 : व्यंग्य (भोलाराम का जीव) - हरिशंकर परसाई (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई द्वारा रचित व्यंग्य ' भोलाराम का जीव' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- 'भोलाराम का जीव' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हरिशंकर परसाई की रचनाधर्मिता और व्यंग्य के स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 23 : यात्रा वृत्तांत (त्रेनम की ओर) - राहुल सांकृत्यायन (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- यात्रावृत्त लेखन कला के तत्त्वों के आधार पर 'त्रेनम की ओर' यात्रावृत्त की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- राहुल सांकृत्यायन के यात्रा वृत्तान्तों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
- अध्याय - 24 : डायरी (एक लेखक की डायरी) - मुक्तिबोध (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- गजानन माधव मुक्तिबोध द्वारा रचित 'एक साहित्यिक की डायरी' कृति के अंश 'तीसरा क्षण' की समीक्षा कीजिए।
- अध्याय - 25 : इण्टरव्यू (मैं इनसे मिला - श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी) - पद्म सिंह शर्मा 'कमलेश' (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- "मैं इनसे मिला" इंटरव्यू का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- पद्मसिंह शर्मा कमलेश की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 26 : आत्मकथा (जूठन) - ओमप्रकाश वाल्मीकि (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- ओमप्रकाश वाल्मीकि के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर संक्षेप में प्रकाश डालते हुए 'जूठन' शीर्षक आत्मकथा की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- आत्मकथा 'जूठन' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- दलित साहित्य क्या है? ओमप्रकाश वाल्मीकि के साहित्य के परिप्रेक्ष्य में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'जूठन' आत्मकथा की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'जूठन' आत्मकथा की भाषिक-योजना पर प्रकाश डालिए।